हरियाली तीज बनाती है जल्द शादी होने का योग

तीज का त्यौहार विवाह सुख की कामना के साथ साथ वैवाहिक जीवन को खुशियों से भर देने वाला समय होता है. तीज का उत्सव जीवन की अनेक समस्याओं को समाप्त कर देने वाला दिन होता है. अगर किसी का विवाह नहीं हो पा रहा है, लाख कोशिशों के बाद भी एक अच्छा रिश्ता मिल पाना बेहद ही मुश्किल लग रहा है, या अन्य किसी कारण से विवाह में देरी हो रही है तो इस तरह की समस्या से बाहर आने के लिए तीज का दिन बेहद विशेष माना गया है. तो चलिए जान लेते हैं की आखिर कैसे तीज का पर्व हमारे जीवन में आए इस संकट को दूर करता है और कैसे "विवाह में विलंब के योग" बन जाते हैं शीघ्र विवाह के योग में.


तीज : कुंडली में विवाह भाव को बनाती है मजबूत

तीज का पर्व जन्म कुंडली में उन भावों को मजबूत करता है जो हमें विवाह के सुखों को देने वाले होते हैं. अब मन में यह प्रश्न आना स्वाभाविक है कि आखिर ये कैसे हमारी जन्म कुंडली के उन भावों को शुभ बना सकता है जिसके कारण हमें परेशानी उठानी पड़ रही है तो इसका उत्तर हमारे शास्त्रों में ही छुपा हुआ है जिसे हम यहां आपके साथ साझा करने की कोशिश कर रहे हैं जिससे आप भी अपने विवाह से संबंधित किसी भी प्रकार की समस्या को दूर कर पाएं और वैवाहिक जीवन का वो आनंद ले पाएं जिस पर आपका अधिकार है.


विवाह के लिए जन्म कुंडली में सातवां भाव बेहद अहम होता है. जब विवाह में किसी भी तरह कि देरी हो रही होती है तो उस स्थिति में व्यक्ति की कुंडली का सातवां भाव कहीं न कहीं कमजोर हो रहा होता है. जब ऎसा होता है तो इसका असर विवाह और विवाह से मिलने वाली खुशियों पर पड़ता है. अब विवाह के सप्तम भाव की स्थिति को जब तक हम शुभ या सकारात्मक नहीं बना लेते हैं तब तक हमें शादी विवाह में देरी की समस्या या शादी होने के बाद आने वाली समस्याओं से दो चार होना पड़ेगा. अब इस स्थिति से बचने के लिए तीज का दिन बेहद खास बन जाता है.


महर्षि नारद ने देखी थी देवी पार्वती की कुंडली

शिव पुराण अनुसार जब देवी पार्वती के पिता हिमालय राज ने पार्वती के विवाह में होने वाली देरी की चिंता को महर्षि नारद के सामने रखा तब नारद जी ने उनके विवाह में होने वाली देरी के कारणों को बताया था.  तीज की कथा तो हम सभी जानते ही हैं कि कैसे देवी पार्वती ने अपने लिए भगवान शिव को अपने जीवन साथी रूप में पाया. लेकिन इस कथा के पूरा होने से पहले देवी पार्वती ने जो भी तप किया वह सब उनके सातवें भाव को शुभ करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण था क्योंकि बिना "विवाह भाव" के मजबूत एवं शुभ हुए उन्हें अपनी पसंद का वर नहीं मिल पाता है.


कथाओं के अनुसार माता पार्वती के विवाह होने में भी अनेक प्रकार की बाधाओं का उन्होंने सामना किया, वर्षों की तपस्या साधना ने उनके सातवें भाव की नींव को मजबूत किया क्योंकि जब तक यह भाव शुभ नहीं होता है तब तक आपको अपनी पसंद का जीवन साथी भी नहीं मिल पाता है, इसलिए तो जब देवी पार्वती का विवाह श्री विष्णु से होने की बात देवी को पता चली तो उन्होंने घर का त्याग करके अपने मनपसंद वर की कामना के लिए अपने विवाह भाव को शुभ करने का प्रयास किया जिससे देवी को आखिर में महादेव का साथ प्राप्त हुआ.


विवाह में देरी से बचाव के उपाय और तीज का दिन

महर्षि नारद जी ने देवी पार्वती की जन्म कुंडली देख कर उनके विवाह की भविष्यवाणी और विवाह में होने वाली देरी के कारणों को कुंडली विश्लेषण द्वारा उनके माता-पिता के सामने रखा. इसी तरह से एक योग्य ज्योतिषी जन्म कुंडली का विश्लेषण करके विवाह में होने वाले विलंब, वैवाहिक जीवन के सुख की कमी, योग्य वर की तलाश कब होगी पूरी ? इन सभी बातों को सही तरह से बता सकता है. ज्योतिष समस्याओं को इंगित करके उनसे बचने का मार्ग भी दिखाता है. तीज के दिन की शुभता को अगर पाना है तो जरूरी है की समस्या को पहचान लिया जाए और सटीक उपायों को करते हुए विवाह के शीघ्र होने की संभावनाओं को सुनिश्चित कर लिया जाए.

Source Url: https://medium.com/@latemarriage/hariyali-teej-banati-hai-jaldi-shadi-hone-ka-yog-47129db4e5e4

Comments

Popular posts from this blog

Career Predictions for 2025 Based on Your Zodiac Sign

Stars Behind Bars: Astrological Predictions for Jail Sentences in Court Cases

Vivah Muhurat 2025: Auspicious Dates and Times in 2025 to Get Married